Monday 7 July 2014

अपने जैसा होना..

इतना भिी आसान नहीं होता अपने जैसा होना
लड़ना पड़ता है एक महायुद्ध स्वयं से ही
अपने जैसा बने रहने के लिए
जीवन नित नवीन अध्याय पढाता रहता है
सीखा गया पाठ एक द्वन्द छोड़ देता है
अतीत के पन्नों पर लिखा गया दीर्घ प्रश्नोत्तर
वस्तुनिष्ठ हो जाता है
वर्तमान उस वस्तुनिष्ठता में खंगालता है
भविष्य में अपने जैसे बने रहने की संभावना
यह गन्तव्य इतना सरल नहीं होता
न सुघड़ होती है पथ की छा्ँव
वक्त की छेनियों से तराशा गया मन
निरन्तर विचार हथौड़ियों की घन गर्जना से
सजग रहता है अपने नहीं होने के प्रति
वह स्वयं ही मिटाता रहता है शनैः शनैः
अपने जैसे होने के सभी साक्ष्य
एक दिन वह बन जाता है दुनियादार
समझदार,धारदार,प्रखर,मुखर
और प्रेम को करनी पड़ती है आत्महत्या
सम्बन्ध तौल कर तय किए जाते हैं
नफा नुकसान की तराजू पर
वह मर जाता है उसी क्षण
जिस क्षण वह नहीं रहता स्वयं जैसा
इतना भिी आसान नहीं होता
अपने जैसे होना......!!!

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